अगरचे आह-ए-सर-ए-शाम भी ज़रूरी है दिल-ए-सितम-ज़दा आराम भी ज़रूरी है सितम-शिआ'र की तफ़रीह-ए-सामेआ' के लिए ख़रोश-ए-मुर्ग़-ए-तह-ए-दाम भी ज़रूरी है ज़िया-ए-किरमक-ए-शब-ताब ही नहीं काफ़ी सितारा-ए-सहर-अंजाम भी ज़रूरी है गिराँ-बहा है मबाहिस की शबनम-आगीनी अगरचे बुर्रिश-ए-समसाम भी ज़रूरी है बड़ी है बात तो मुँह भी बड़ा मुहय्या कर फिर इस के साथ बड़ा नाम भी ज़रूरी है सुकूत गुल का अगर ना-गुज़ीर है 'जाफ़र' तो अंदलीब का कोहराम भी ज़रूरी है