अहद-ए-गुम-गश्ता की निशानी हूँ एक भूली हुई कहानी हूँ वो ख़ुशी हूँ जो दर्द सुलगाए आग जिस से लगे वो पानी हूँ एक आँसू हूँ चश्म-ए-इशरत का ज़ीस्त का रंज-ए-शादमानी हूँ अपनी बर्बादियों पे याद आया कितनी आबादियों का बानी हूँ सीना-ए-दश्त पर हूँ मौज-ए-सराब ख़ुश्क दरियाओं की रवानी हूँ आइना-ख़ाना-ए-ज़माना में अक्स अपना हूँ अपना सानी हूँ इक तबस्सुम की आस में 'राही' कब से महरूम-ए-शादमानी हूँ