अहल-ए-दिल भी देखिए अब क्या से क्या करने लगे शीशागर भी पत्थरों से मशवरा करने लगे दे दिया है तजरबात-ए-ज़िंदगी को रुख़ नया आज हम अपने तईं हर फ़ैसला करने लगे मसअलों का हल नज़र आएगा कैसे दोस्तो हम दर-ए-अग़्यार पर जब इल्तिजा करने लगे इस लिए वो जूझते हैं रोज़-ओ-शब हालात से जो ज़रा सी बात पर झगड़ा खड़ा करने लगे ये सियासी लोग बंजारों की तरह देखिए बस्तियों से दूर जा कर रतजगा करने लगे हज़रत-ए-अय्यूब को क्या पढ़ लिया तुम ने 'बहार' साबिरों की ज़िंदगी पर तब्सिरा करने लगे