जहाँ से होता है प्यारे ख़ुदा का नाम शुरूअ' वहीं से करते हम ज़िंदगी का काम शुरूअ' ये कैसी राह-ए-सफ़र है ये कैसा आलम है कि पाँव रक्खें जहाँ भी वहीं मक़ाम शुरूअ' जहाँ पे होता है दिल पे नुज़ूल-ए-बार-ए-अज़ाब वहीं से होता है दुनिया का ये निज़ाम शुरूअ' न सोचो वक़्त बहुत कम है ज़िंदगी कम है जो हो सके तो करो गर्दिश-ए-मुदाम शुरूअ' सुकूत ओ शोर के माबैन कोई है मौजूद जहाँ हो ख़त्म समाअ'त वहीं कलाम शुरूअ' बड़ी अजीब है ये दास्तान-ए-इश्क़ 'हमेश' सवेरा होने से पहले हो गोया शाम शुरूअ'