एहसास भरे दिल में इक प्यार का सागर है जो सब से छुपाया था वो तुझ पे उजागर है कहते हैं सभी मुझ से तुम दिल में जगह दे दो कैसे मैं उन्हें दे दूँ ये दिल जो तिरा घर है उल्फ़त का ख़ज़ाना जो तू ने ही लिटाया था तू ढूँड ज़रा फिर से तेरे ही वो अंदर है जो ग़म से नहीं पिघला वो दिल है भला कैसे जो प्यार को न समझे वो दिल नहीं पत्थर है जिस को था कहा तू ने बाहोँ में छुपा लूँगा वो तेरी 'शिखर' भटके क्यों आज यूँ दर दर है