ऐसा लगता है मिरे दिल पे नज़र रखते हैं मेरे शाने पे मोहब्बत से वो सर रखते हैं उन को आता है मोहब्बत को छुपाने का हुनर दिल वो रखते हैं बा-अंदाज़-ए-दीगर रखते हैं रौशनी होती है जब बात वो करते हैं कहीं फ़िक्र में अपनी जो अनवार-ए-सहर रखते हैं ख़ुद-ब-ख़ुद मिलता है उन लोगों को मंज़िल का पता जो क़दम राह पे बे-ख़ौफ़-ओ-ख़तर रखते हैं आए वो जिस की अदाओं में है ख़ूबी-ए-चमन अपने दिल में यही अरमाँ गुल-ए-तर रखते हैं हम को मालूम है इस वक़्त कहाँ है वो 'सुहैल' बे-ख़बर ख़ुद से है हम उस की ख़बर रखते हैं