ऐसा महसूस कर रहा हूँ मैं जैसे इस शहर में नया हूँ मैं अपनी ख़ुश्बू से ख़ौफ़ आता है किन हवाओं में घिर गया हूँ मैं तेरी कुछ और बात है वर्ना साथ अपने भी कम रहा हूँ मैं ख़ाल-ओ-ख़द पे न अपने ग़ौर करो मुझ से रूठो कि आइना हूँ मैं उफ़ ये कैफ़-ए-फ़साना-हा-ए-जुनूँ लिख रहा हूँ मिटा रहा हूँ मैं कोई मौसम हो अब मुझे क्या फ़िक्र बर्ग हूँ शाख़ से जुदा हूँ मैं हूँ 'मुनव्वर' बुरा तो मैं लेकिन कौन जाने कि क्यूँ बुरा हूँ मैं