ऐसे दरकिनार हो गए By Ghazal << वही जो हया थी निगार आते आ... ढली जो शाम नज़र से उतर गय... >> ऐसे दरकिनार हो गए हाशिए के पार हो गए क्या थी वो जुदाई की ख़बर लफ़्ज़ तार तार हो गए बरसों बा'द ये पता चला हम कहीं शिकार हो गए तेरे बा'द क्या बताएँ हम कैसे बे-हिसार हो गए इक तिरी सदा ने क्या छुआ दर्द बे-क़तार हो गए Share on: