ऐसे रस्ते पे आ गया हूँ मैं जैसे पत्थर कोई है या हूँ मैं उस ने पूछा हयात का क़िस्सा क्या बताऊँगा सोचता हूँ मैं वक़्त घड़ियों के दरमियाँ है कहीं सारे मेहवर पे घूमता हूँ मैं मुझ से पूछो न माजरा दिल का रेज़ा-रेज़ा जुदा जुदा हूँ मैं मुझ से कहती है मेरी ख़ामोशी शोर करता हूँ चीख़ता हूँ मैं अब तो इक नाम है ज़माने में अब तो नक़्शे पे आ गया हूँ मैं मेरे अंदर हज़ार-हा चेहरे कितना मरबूत आइना हूँ में इश्क़ करता है अपनी मन-मानी तुम समझते हो सर-फिरा हूँ मैं किस ने मुझ को 'अदम' पुकारा है किस का लहजा है देखता हूँ मैं