अजब अश्कों की बारिश हो गई है दिलों की गर्द सारी धो गई है सुनाई दे रही हैं सिसकियाँ अब सुहानी रागनी चुप हो गई है डरे जाते हैं हम को देख कर सब हमारी शक्ल हम से खो गई है भरा रहता है कमरे में अंधेरा हमारी नींद भी अब सो गई है किसी के साथ रहते रहते 'हारिस' मिरी पहचान मुझ में खो गई है