अजब हैं सूरत-ए-हालात अब के हुई बरसात में बरसात अब के बदन में फूल भी चुभने लगे हैं बहुत नाज़ुक हैं एहसासात अब के ज़रा चौकन्ना चौकन्ना हूँ मैं भी है दुनिया भी लगाए घात अब के बना दूँगा तिरे चेहरे का झूमर लगा जो चाँद मेरे हाथ अब के लगी है शर्त मेरे आँसुओं की समुंदर को मिलेगी मात अब के 'सलीम' अल्फ़ाज़ बूदे लग रहे हैं है ऐसी शिद्दत-ए-जज़्बात अब के