अजब सूरत से दिल घबरा रहा है हँसी के साथ रोना आ रहा है मुझे दिल से भुलाया जा रहा है पसीने पर पसीना आ रहा है मुरव्वत शर्त है ऐ याद-ए-जानाँ तमन्नाओं का जी घबरा रहा है मिरी नींदें तो आँखों से उड़ा दीं मगर ख़ुद वक़्त सोया जा रहा है अदब कर ऐ ग़म-ए-दौराँ अदब कर किसी की याद में फ़र्क़ आ रहा है ये आधी रात ये काफ़िर अँधेरा न सोता हूँ न जागा जा रहा है ज़रा देखो ये सरकश ज़र्रा-ए-ख़ाक फ़लक का चाँद बनता जा रहा है 'सिराज' अब दिलकशी क्या ज़िंदगी में ब-मुश्किल वक़्त काटा जा रहा है