अजब तरह वो कहानी से खेलने लगा है बजाए आग के पानी से खेलने लगा है इसी को कहते हैं ख़तरों से खेलना शायद वो बचपने में जवानी से खेलने लगा है लगे हैं छुप के परिंदे तमाशा देखने में गुलाब रात की रानी से खेलने लगा है ग़ज़ब का सौदा है दिन-रात एक करते हुए हमारा सर भी गिरानी से खेलने लगा है ये दिल को शौक़ चराया है क्या जराहत का हर एक टीस पुरानी से खेलने लगा है ये किस को आया है लफ़्ज़ों से खेलने का हुनर सुकूत-ए-शो'ला-बयानी से खेलने लगा है कमाल चाल चली उस ने बंद आँखों से वो खेल कितनी रवानी से खेलने लगा है धड़कना भूल न जाए ये दिल मोहब्बत में तुम्हारे ग़म की निशानी से खेलने लगा है