अजीब मंतिक़ है उस को सोचेंगे ख़ुश रहेंगे हम अपनी आँखों में धूल झोंकेंगे ख़ुश रहेंगे मैं खस्ता-हालों की ख़स्ता-हाली पे रो पड़ा हूँ ये लोग काग़ज़ के फूल बेचेंगे ख़ुश रहेंगे कोई तो है जो हमारी हालत पे रो रहा है हम उस के होने की ख़ैर माँगेंगे ख़ुश रहेंगे गुज़ार लेंगे किसी दिलासे की आड़ ले कर किसी के आने में वक़्त काटेंगे ख़ुश रहेंगे