अक़ब में दरमियाँ और सामने वाली नाशिस्तों पर जहाँ देखा वहाँ थे आप ही सारी नाशिस्तों पर वो जब स्टेज पर आया तो पीछे बैठने वाले चले आए क़तारें तोड़ कर अगली नाशिस्तों पर ख़बर ही न मिली उन को तमाशा ख़त्म होने की तमाशाई झगड़ते रह गए ख़ाली नाशिस्तों पर गले में दिल उछल कर आ गया सब अहल-ए-महफ़िल का जब उस ने बे-नियाज़ी से नज़र डाली नाशिस्तों पर उन्हें हर हुक्म सुन कर शाह की ताईद करनी थी रियाज़त काट कर पहुँचे जो दरबारी नाशिस्तों पर यहाँ पर हर किसी को हुक्मराँ होने की ख़्वाहिश है नज़र हिज़्ब-ए-मुख़ालिफ़ की है सरकारी नाशिस्तों पर जो देखी ज़ीस्त के स्टेज पर अपनी अदाकारी मैं रोया बारी बारी बैठ कर ख़ाली नाशिस्तों पर 'हसन' हम को भी अपनी शाइरी पर दाद मिल जाती हमारे दोस्त जा कर सो गए पिछली नाशिस्तों पर