आकाश पे बादल छाए थे By Ghazal << जोश-ए-तकमील-ए-तमन्ना है ख... दूर है मंज़िल तो क्या रस्... >> आकाश पे बादल छाए थे आँखों ने अश्क बहाए थे नय्या को भँवर में देखा था जब मौसम प्यार के आए थे इक लफ़्ज़ न आया होंटों पर लम्हे बे-दर्द तो आए थे कुछ गीत सुने थे बचपन में कुछ मीठे ख़्वाब चुराए थे 'बीना' के मन में धूप रही आँखों में ठंडे साए थे Share on: