अलग अलग तासीरें इन की, अश्कों के जो धारे हैं इश्क़ में टपकें तो हैं मोती, नफ़रत में अंगारे हैं तुम से मिल कर खिल उठता था, तुम से छूट के फीका हूँ ऐ रंगरेज़ मिरे चेहरे के सारे रंग तुम्हारे हैं गरमी की लू में तपने के ब'अद ही पानी का है मज़ा तुझ को जीतना आसाँ था, हम जान के तुझ को हारे हैं ऐ पुर्वाई मेरी ख़ुशबू उस चौखट के दम से है तू भी गुज़र के देख जहाँ मैं ने कुछ लम्हे गुज़ारे हैं मुँह से बताओ या न बताओ तुम हम को दिल की बातें जान-ए-मन ये नैन तुम्हारे, ये जासूस हमारे हैं ऐसी बात मिलन में कब होगी जैसी इस पल में है सब के बीच में मैं हूँ, वो है ओर ख़ामोश इशारे हैं तेरे मुँह पर तेरी हम ने कभी न की तारीफ़ ज़रा लिखने बैठे तो काग़ज़ पर रख दिए चाँद सितारे हैं