अनासिर की घनी ज़ंजीर है सो ये हस्ती की इक ताबीर है मिला विर्से में दर्द-ए-दिल मुझे ये मेरे बाप की जागीर है पिघल जाएगा पर्बत संग क्या मिरी आहों में वो तासीर है कहीं राँझा, कहीं मजनूँ हुआ वजूद-ए-इश्क़ आलमगीर है वही परवेज़ की शर्तें हनूज़ वही तेशा है, जू-ए-शीर है सुरूर ओ ग़म है क्या 'ख़ालिद'-मियाँ किताब-ए-ज़ीस्त की तफ़्सीर है