अँधेरों से तुम क्यों ज़िया माँगते हो हुकूमत से अहद-ए-वफ़ा माँगते हो दुआओं कि तुम को ज़रूरत है यारो दवाओं से तुम क्यों शिफ़ा माँगते हो जो माँगी दलीलें तो आलिम ये बोले बड़े बे-अदब हो ये क्या माँगते हो ये दौलत ये शोहरत ये सब आरज़ी है मुबारक हो रब की रज़ा माँगते हो बड़ी देर कर दी नसीहत को तुम ने नई नस्ल से अब हया माँगते हो चलो आज 'शमशेर' से जा के पूछें दुआओं में रो रो के क्या माँगते हो