अपनी तक़दीर से बग़ावत की By Ghazal << दिल ख़ूँ है ग़म से और जिग... इशारे क्या निगह-ए-नाज़-ए-... >> अपनी तक़दीर से बग़ावत की आज हम ने भी इक इबादत की कौन है जिस के सर की खाएँ क़सम किस ने हम से यहाँ मोहब्बत की और क्या है ये घर का सन्नाटा एक आवाज़ है मोहब्बत की हम को मिटना था मिट गए 'नूरी' चाह में एक बे-मुरव्वत की Share on: