अपना माहौल-ए-नफ़सियात समझ बात करने से पहले बात समझ कौन कब किस लिए कहाँ होगा राब्ते और तअ'ल्लुक़ात समझ मौज-ए-दरिया शुमार करने में क़तरे क़तरे के मुज़्मिरात समझ बद-गुमानी का तेज़-रौ दरिया तोड़ देगा हिसार-ए-ज़ात समझ ज़िंदगी के मिज़ाज में शामिल एक इक साँस-ए-हादसात समझ