अपना तो चाहतों में यही इक उसूल है तेरा भला-बुरा हमें सब कुछ क़ुबूल है ये उम्र-भर का जागना बे-कार ही न जाए तो नाँ मिला तो सारी रियाज़त फ़ुज़ूल है ख़ुद ही कहा था तू ने मिरी जान छोड़ दे अब छोड़ दी तो क्यूँ तिरा चेहरा मलूल है ऐ माँ ये मेरी शोहरतें मेरी ये इज़्ज़तें कुछ भी नहीं है बस तिरे क़दमों की धूल है आई जो तेरी याद तो आँखें बरस पड़ीं इस वक़्त तेरे दर्द का दिल पर नुज़ूल है इक दूसरे के वास्ते दोनों बने 'वसी' गुल-दान मेरा दिल है तिरी याद फूल है