अपने आँगन पाली मिट्टी हम ने ख़ुशबू वाली मिट्टी बारिश की पहली बूंदों ने सोंधी सी कर डाली मिट्टी याद ख़ुदा की आई उस को जिस ने बुत में ढाली मिट्टी आपस की चाहत में गुम हैं बीज कियारी माली मिट्टी भर जाती हैं साँसें आख़िर रह जाती है ख़ाली मिट्टी इस में बो कर दीप लहू के हम ने और उजाली मिट्टी माँग रही थी क़र्ज़ ज़मीं का फिर इक बार सवाली मिट्टी अपनी जान की क़ीमत दे कर हम ने आज बचा ली मिट्टी