अपने दुश्मन को कभी प्यार नहीं दे सकते दस्त-ए-क़ातिल में तो तलवार नहीं दे सकते इन समर-दार दरख़्तों से हमें क्या हासिल जो हमें साया-ए-अश्जार नहीं दे सकते उन की शाइस्तगी-ए-शौक़ है तकमील-तलब अपने जज़्बों को जो मेआ'र नहीं दे सकते क्यूँ तअ'ल्लुक़ से पिघल जाता है दिल का पत्थर राज़ ये साहिब-ए-असरार नहीं दे सकते 'शाहिदा' ताज-महल अब कोई बनता भी नहीं लोग ऐसा कोई शाहकार नहीं दे सकते