अपने जैसों से दोस्ती कर ली ज़िंदगी हम ने ज़िंदगी कर ली सौ तरीक़े थे ख़ुद-कुशी के मगर हम भी पागल थे आशिक़ी कर ली वक़्त आया तो रूठ भी बैठें वक़्त आया तो बात भी कर ली बाग़ के हाल का तक़ाज़ा था एक पौदे ने नौकरी कर ली पाँव छू कर बुज़ुर्गों का हम ने पल में अर्सों की बंदगी कर ली यार करना था कुछ अलग हम को लीक से हट के शाइ'री कर ली