अपने क़द में रहता हूँ By Ghazal << हवस गुलज़ार की मिस्ल-ए-अन... इतनी मुश्किल में भी अहबाब... >> अपने क़द में रहता हूँ या'नी हद में रहता हूँ कुछ तुम ने तक़्सीम किया कुछ फ़ीसद में रहता हूँ अब तो अक्सर तेरे ही ख़ाल-ओ-ख़द में रहता हूँ ज़िंदा हूँ न मुर्दा हूँ कैसी ज़द में रहता हूँ मेरे नाम की फ़ाल है ये अक्सर रद में रहता हूँ Share on: