अपने रुख़ पर नक़ाब रहने दे दिल में ये इज़्तिराब रहने दे मेरी आँखों की पुतलियों से परे इस हक़ीक़त को ख़्वाब रहने दे साक़िया चश्म-ए-नीलगूँ से पिला जाम-ओ-मीना शराब रहने दे कोई काँटा ही बख़्श दे मुझ को चम्पा बेला गुलाब रहने दे एक है लफ़्ज़-ए-'तू' मोहब्बत का आप तुम और जनाब रहने दे ज़ख़्म से ख़ूँ न पोंछ ऐ ज़ालिम ज़ख़्म की आब-ओ-ताब रहने दे कुछ तअल्लुक़ हो हश्र पर बाक़ी दरमियाँ कुछ हिसाब रहने दे बज़्म-ए-आदा है और ज़िक्र-ए-वफ़ा देख 'रिज़वाँ' ख़िताब रहने दे