अपनी कमी से पूछ न उस की कमी से पूछ इस्मत का भाव जिस्म की बेचारगी से पूछ ग़ारों में रहने वालों की शाइस्तगी का क़द सड़कों पे रक़्स करती हुई आगही से पूछ मुझ में ये इंतिशार ये नफ़रत है किस लिए गुज़रे हुए समाज की दीवानगी से पूछ डाली से छूट जाने का अंजाम क्या हुआ बर्ग-ए-ख़िज़ाँ-रसीदा की आवारगी से पूछ अश्कों में इल्तिजाओं में ताक़त नहीं है क्यूँ ज़ेहनों पे राज करती हुई बे-हिसी से पूछ खुलने के इंतिज़ार में जो ज़र्द हो गई रंग-ए-सुलूक बाद-ए-सबा उस कली से पूछ बंदों के सिलसिले में बहुत तू ने कह लिया अल्लाह अपने बारे में कुछ आदमी से पूछ