अपनी पसंद छोड़ दी उस की ख़रीद ली विर्से का खेत बेच के कोठी ख़रीद ली इक उम्र अपने बेटों को उँगली थमाई फिर बूढे ने इक दुकान से लाठी ख़रीद ली वैसे तो निर्ख़ कम ही थे गंदुम के इस बरस आई थी तेरे गाँव से महँगी ख़रीद ली हम दोस्तों के प्यार में हम-रंग हैं लिबास और लोग कह रहे हैं कि वर्दी ख़रीद ली तस्वीर अपनी ख़ुद ही मुसव्विर को भा गई ख़ुद गैलरी में पेश की ख़ुद ही ख़रीद ली ऐ हिज्र-ज़ाद तुम को भी है आरज़ू-ए-वस्ल ऐ दश्त-ज़ाद तुम ने भी कश्ती ख़रीद ली दर-अस्ल मसअला तो है चलना घड़ी के साथ इस से ग़रज़ नहीं है कि कैसी ख़रीद ली