अपनी तो तक़दीर में शब-भर ख़ाक उड़ाना होगा ही यार तो सारे बिछड़ चले हैं उन का ठिकाना होगा ही दिन चढ़ आया क्यों नहीं आए जाएँ उन से पूछ आएँ लेकिन उन के पास तो ऐ दिल कोई बहाना होगा ही आओ चलें उन की महफ़िल में और अपनी सुध-बुध खो दें आज भी यारो उन आँखों में कोई फ़साना होगा ही सुब्ह को शब कह देते हैं हम सच को झूट बताते हैं हम जैसे सर-फिरों से तो नाराज़ ज़माना होगा ही ऐ रंगून में चलती हवा मेरा संदेसा लेती जा तेरा तो उन की गलियों में आना-जाना होगा ही आज मिला था 'पाशी' से मैं वो भी है शादाब बहुत मिरी तरह उस के दिल में भी ग़म का ख़ज़ाना होगा ही