अपनों को नहीं समझा अपना बेगाना समझ कर छोड़ दिया अफ़्सोस हक़ीक़त को तुम ने अफ़्साना समझ के छोड़ दिया तुम ने भी मिरे टूटे दिल की कुछ क़द्र न की क्या ज़ुल्म किया तुम ने भी मिरा दिल टूटा हुआ पैमाना समझ के छोड़ दिया मंदिर को न समझा घर उस का अफ़्सोस बड़ी नादानी की अल्लाह के घर को ज़ाहिद ने बुत-ख़ाना समझ के छोड़ दिया ऐ हज़रत-ए-मूसा शुक्र करो तुम को न जलाया ख़ैर हुई इस शम्अ ने अपने जलवों का परवाना बना के छोड़ दिया मरने के बा'द भी काम आई दीवानगी अपनी ऐ 'पुरनम' तुर्बत में फ़रिश्तों ने मुझ को दीवाना समझ कर छोड़ दिया