तिश्ना-कामी में रिआ'यत नहीं करने वाले हम अमानत में ख़यानत नहीं करने नहीं करने वाले रौशनी हम पे इनायत नहीं करने वाली हम चराग़ों से शिकायत नहीं करने वाले हम से ये कार-ए-मुसाफ़त नहीं होने वाला ज़िंदगी तेरी क़यादत नहीं करने वाले हम से अय्याम की गर्दिश नहीं देखी जाती ख़ैर हम इस की वज़ाहत नहीं करने वाले हस्ब-ए-मक़दूर हमें ख़ाक उड़ानी है सो हम जिस्म-ए-खस्ता की मरम्मत नहीं करने वाले फिर वही ख़्वाब वही ज़िद नहीं 'आक़िब-साबिर' हम उसूलों से बग़ावत नहीं करने वाले