अर्सा-ए-माह-ओ-साल से गुज़रे रात राह-ए-विसाल से गुज़रे तुम कि अहद-ए-वफ़ा निभा के 'मीर' कितने रंज-ओ-मलाल से गुज़रे आ शब-ए-वस्ल मुख़्तसर है बहुत कौन शर्त-ए-सवाल से गुज़रे क्या बताएँ कि तेरे कूचे से किस हुनर किस कमाल से गुज़रे कौन था वो कि जिस की चाहत में ख़्वाब बन कर ख़याल से गुज़रे दश्त-ए-वहशत से तेरे दीवाने कैसे जाह-ओ-जलाल से गुज़रे गर्दिश-ए-वक़्त थम गई 'आदिल' तुम जो शहर-ए-मिसाल से गुज़रे