असर उस को ज़रा नहीं होता रंज राहत-फ़ज़ा नहीं होता बेवफ़ा कहने की शिकायत है तो भी वादा-वफ़ा नहीं होता ज़िक्र-ए-अग़्यार से हुआ मा'लूम हर्फ़-ए-नासेह बुरा नहीं होता किस को है ज़ौक़-ए-तल्ख़-कामी लेक जंग बिन कुछ मज़ा नहीं होता तुम हमारे किसी तरह न हुए वर्ना दुनिया में क्या नहीं होता उस ने क्या जाने क्या किया ले कर दिल किसी काम का नहीं होता इम्तिहाँ कीजिए मिरा जब तक शौक़ ज़ोर-आज़मा नहीं होता एक दुश्मन कि चर्ख़ है न रहे तुझ से ये ऐ दुआ नहीं होता आह तूल-ए-अमल है रोज़-फ़ुज़ूँ गरचे इक मुद्दआ नहीं होता तुम मिरे पास होते हो गोया जब कोई दूसरा नहीं होता हाल-ए-दिल यार को लिखूँ क्यूँकर हाथ दिल से जुदा नहीं होता रहम बर-ख़स्म-ए-जान-ए-ग़ैर न हो सब का दिल एक सा नहीं होता दामन उस का जो है दराज़ तो हो दस्त-ए-आशिक़ रसा नहीं होता चारा-ए-दिल सिवाए सब्र नहीं सो तुम्हारे सिवा नहीं होता क्यूँ सुने अर्ज़-ए-मुज़्तरिब 'मोमिन' सनम आख़िर ख़ुदा नहीं होता