अश्क आँखों में जिगर में दर्द सोज़िश दिल में है इक मोहब्बत की बदौलत घर का घर मुश्किल में है जब न ये दुनिया थी क़ाएम तू हमारे दिल में था जब से ये दुनिया है क़ाएम तू हमारे दिल में है इज़्तिराब-ए-तेग़-ए-मक़्तल में कोई देखे ज़रा साफ़ होता है गुमाँ बिजली कफ़-ए-क़ातिल में है आज उन के जौर के शिकवे हैं क्या क्या हश्र में आज कैसी उन की रुस्वाई भरी महफ़िल में है नज़्अ' में ऐ ना-मुरादी उस की तू रहना गवाह जो मिरे दिल की तमन्ना थी वो मेरे दिल में है क़त्ल हो कर भी रहा क़ातिल से क़ाएम वास्ता रूह मेरी बन के जौहर ख़ंजर-ए-क़ातिल में है होशियार ऐ रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत होशियार हर क़दम पर जान का खटका तिरी मंज़िल में है ऐ ख़याल-ए-तर्क-ए-उल्फ़त क़हर है मिट जाएगी ये जो इक दुनिया-ए-ग़म आबाद मेरे दिल में है नक़्स से ख़ाली नहीं होते हसीं भी ऐ 'फहीम' देख तू सू-ए-फ़लक धब्बा मह-ए-कामिल में है