अश्क बहाओ आह भरो फ़रियाद करो कुछ तो क़फ़स में शिकवा-ए-इस्तिब्दाद करो हर-सू मर्ग-आसार ख़मोशी छाई है दर्द के मारो शोरिश-ए-हश्र ईजाद करो सहरा सहरा ख़ाक उड़ाने से हासिल क़र्या क़र्या क़स्र-ए-सितम बरबाद करो अर्ज़-ए-तमन्ना पर अब क़दग़न क्या मा'नी अपने वा'दे अपनी क़स्में याद करो आओ आवारा-ओ-गुरेज़ाँ उम्मीदो घर की वीरानी को फिर आबाद करो शौक़-ए-तलब ही अव्वल-ओ-आख़िर मंज़िल है क़ैस बनो या पैरवी-ए-फ़रहाद करो औरों को तर्ग़ीब-ए-तरब देने वालो हम ऐसे दरवेशों को भी शाद करो