अश्क भेजें मौज उभारें अब्र जारी कीजिए मेहरबाँ सैल-ए-बला की आबयारी कीजिए ऐ चराग़-ए-ताक़-ए-जानाँ ऐ हवा-ए-कू-ए-दोस्त अपनी कैफ़िय्यत ज़रा हम पर भी तारी कीजिए शाम-ए-हिज्राँ में सितारों को न ठहराएँ शरीक आईना-ख़ाने में आ कर ख़ुद-शुमारी कीजिए अश्क-बारी सीना-चाकी दिल-ख़राशी हो चुकी लीजे साहिब इश्क़ का फ़रमान जारी कीजिए होंट कहते हैं बहा दीजे लहू अशआर में ज़ुल्फ़ कहती है मियाँ तरकीब भारी कीजिए देखिए माह ओ सितारा घूमिए अर्ज़ ओ समा चलिए बाहर बाद-ए-ख़ुद-सर की सवारी कीजिए इश्क़ का अगला पड़ाव मैं हूँ मैं दुनिया-परस्त अल-मदद ऐ क़ैस ऐ फ़रहाद यारी कीजिए यूँ तो मलने से रही ये सल्तनत सो शहरयार पाँव पड़ कर रोइए मिन्नत-गुज़ारी कीजिए