और दुनिया में हम ने क्या देखा सिर्फ़ तेरा ही रास्ता देखा उस ने सूरज से चार कीं आँखें जिस ने मंज़र था रात का देखा सिसकियाँ चाँद की सुनीं हम ने जब सितारों को टूटता देखा मेरे दामन में प्यास कितनी थी मैं ने दरिया का रास्ता देखा हुस्न देखा तो उँगलियाँ काटीं क्या करेंगे अगर ख़ुदा देखा हर शिकन फूट फूट कर रोई रात फिर ख़्वाब-ए-कर्बला देखा अक्स अपना धुआँ धुआँ पाया आज 'तारिक़' जब आइना देखा