औसान पर यूँ उस ने क़ाबू किया हुआ है जैसे कि मुझ पे काला जादू किया हुआ है बातें सजा रखी हैं दीवार पर दिए सी यादों को मैं ने उस की जुगनू किया हुआ है मिट्टी के इस बदन में है रूह नर्तकी सी साँसों को उस ने मेरी घुंघरू किया हुआ है हिन्दी महक रही है लोबान जैसी मेरी लहजे को मैं ने अपने उर्दू किया हुआ है क्या क्या मुझे किया है इस इश्क़ ने 'मुसव्विर' जानाँ किया हुआ है जानू किया हुआ है