बादल की न बे-नाम नवाज़िश की तरफ़ जा इस छत से टपकती हुई बारिश की तरफ़ जा इन होंटों की सूखी हुई पपड़ी को नहीं देख होंटों पे उभरती हुई ख़्वाहिश की तरफ़ जा अब तुझ से भी मुझ को कोई उम्मीद नहीं है बेटे तू मिरी आख़िरी ख़्वाहिश की तरफ़ जा अपने लिए लोगों में मोहब्बत को नहीं देख तू अपने ख़िलाफ़ अपनी ही साज़िश की तरफ़ जा रो-रो के तिरे अपने तुझे क़त्ल करेंगे जज़्बात की मत झूटी नुमाइश की तरफ़ जा जा देख तुझे किस तरह वो लूट रहा है ग़ाफ़िल कभी दुश्मन की रिहाइश की तरफ़ जा