बातें हैं बहुत कहनी ये आग़ाज़-ए-ग़ज़ल है मिस्रा हो बहुत अच्छा ये ए'जाज़-ए-ग़ज़ल है कहता हूँ मैं अशआ'र मोहब्बत के बहुत से अपना तो यही एक ही अंदाज़-ए-ग़ज़ल है दो सत्र में बातों को बड़े प्यार से कहना शाइ'र के लिए इतना ही ए'ज़ाज़-ए-ग़ज़ल है ये इश्क़ का क़िस्सा है बयाँ करता हूँ इस में जानम तिरी चाहत मिरी हम-राज़-ए-ग़ज़ल है आई बड़ी जिद्दत है सुख़न में मिरे यारो देखो यही जिद्दत है जो परवाज़-ए-ग़ज़ल है