बच्चे भोली-भाली बातें करते हैं रौशन मुस्तक़बिल की बातें करते हैं जाने कब आएगा मौसम गीतों का सूखे पेड़ पे पंछी बातें करते हैं वीराँ वीराँ उजड़ा उजड़ा शहर-ए-वफ़ा लोग यहाँ के रूखी बातें करते हैं महकाएँगे हम भी इक दिन वीरानी ख़ार-ए-मुग़ीलाँ कैसी बातें करते हैं टूट के मुझ से मिलते हैं जब यार मिरे पहले वो भी रस्मी बातें करते हैं ज़हर का सागर पीने वाले गहरे लोग मीठी प्यारी प्यारी बातें करते हैं लोग हैं अगले वक़्तों के 'इरफ़ान' सुनो ये जो भूली-बिसरी बातें करते हैं