बड़ी हैरत है वो ज़िंदा मिला है जिसे हर मोड़ पर धोका मिला है तलाश-ए-हक़ में मैं निकला हूँ जब भी नई मंज़िल नया रस्ता मिला है मिला भी क्या किसी को तुम से मिल कर बिखर जाने का अंदेशा मिला है नहीं प्यासे को क़तरा भी मयस्सर जो है सैराब उसे दरिया मिला है मिरे घर ढूँडने वालों को अक्सर फ़क़त इक टूटा आईना मिला है