बाग़ सारा तो बयाबाँ न हुआ था सो हुआ जो ख़िज़ाँ का कभी एहसाँ न हुआ था सो हुआ हम तो बेदार हुए ख़्वाब से अपने लेकिन वो भी ख़्वाबों में परेशाँ न हुआ था सो हुआ हम भी कुछ सोच के कर बैठे बिल-आख़िर शिकवा वो भी पहले तो पशेमाँ न हुआ था सो हुआ मिशअलें सर की सजाई गईं तश्त-ए-ज़र में कब से मक़्तल में चराग़ाँ न हुआ था सो हुआ सफ़र-ए-जाँ की हुई अब कहीं जा कर तकमील या'नी मैं बे-सर-ओ-सामाँ न हुआ था सो हुआ देखते देखते आ पहुँचा सरों तक पानी अब तक अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ न हुआ था सो हुआ दोस्तो मैं जो तअ'ल्लुक़ था वो बाक़ी न रहा दुश्मनों में कोई पैमाँ न हुआ था सो हुआ और क्या मुझ को सिला मिलता ख़ुलूस-ए-दिल का हदफ़-ए-तोहमत-ए-याराँ न हुआ था सो हुआ दश्त में अब्र तो बरसा वो दो इक बूँद सही पहले इतना भी तो इम्काँ न हुआ था सो हुआ 'मोहसिन' अच्छा ही हुआ उस ने उलट दी जो नक़ाब रंग उस का जो नुमायाँ न हुआ था सो हुआ