बहार आई गुल-अफ़्शानी के दिन हैं हमारी तंग-दामानी के दिन हैं अनादिल की ग़ज़ल-ख़्वानी के दिन हैं गुलों की चाक-दामानी के दिन हैं जिधर देखो खिले हैं लाला-ओ-गुल ये ख़ून-ए-दिल की अर्ज़ानी के दिन हैं हुआ दामान-ए-गुल दामान-ए-यूसुफ़ नज़र की पाक-दामानी के दिन हैं सुबुक-रौ है नसीम-ए-रूह-परवर मगर फिर भी गिराँ-जानी के दिन हैं दिल-ए-पुर-दर्द उमडा आ रहा है ये बहर-ए-ग़म में तुग़्यानी के दिन हैं यही दिन मा-हसल हैं ज़िंदगी के यही जो दिल की नादानी के दिन हैं जमाल-ए-ज़िंदगी की ख़ैर यारब कमाल-ए-अक़्ल-ए-इंसानी के दिन हैं ग़ज़ल पाकीज़ा है फ़ज़ली अभी तक ये दिन हर-चंद उर्यानी के दिन हैं