बहते पानी में जो सूरत ठहरे मेरे होने की ज़मानत ठहरे उस के जल्वे से मिली हैं नज़रें अब कहाँ पर मिरी क़िस्मत ठहरे ख़ुद को आईना-सिफ़त देखता हूँ मुझ में कुछ देर तो क़ुदरत ठहरे तेज़-रफ़्तारी-ए-दुनिया क्या है मैं भी सोचूँ जो ये हालत ठहरे कोई तो कार-ए-जहाँ हम-नफ़सो जो मिरे वक़्त की क़ीमत ठहरे