बहता हुआ दरिया हूँ कहीं पर था कहीं हूँ मैं लम्हा-ए-मौजूद का पाबंद नहीं हूँ वाबस्ता हूँ इक सिलसिला-ए-इश्क़ से लेकिन मैं चाक-ए-गरेबाँ हूँ न मैं ख़ाक-नशीं हूँ ऐ दिल-ज़दागानों के मसीहा मुझे बतलाओ क्या मैं तिरी फ़िहरिस्त-ए-दिल-ओ-जाँ में कहीं हूँ मख़्सूस है जो सिर्फ़ तिरे हुस्न-ए-नज़र से उस आँख से देखे कोई मुझ को तो हसीं हूँ दिलदार निगाहों के इशारों से बला ले मैं तेरी पहुँच से अभी बाहर भी नहीं हूँ है अब भी वही दिल के धड़कने की कहानी तू मुझ को जहाँ छोड़ गया था मैं वहीं हूँ