बहुत कहा था सुख़न-वरों में गुज़र न करना बहुत कहा था कि बात सुनना मगर न करना बहुत कहा था कि डूबने का है डर ज़ियादा बहुत कहा था कि पानियों का सफ़र न करना बहुत कहा था कि तुम अकेले न रह सकोगे बहुत कहा था कि हम को यूँ दर-ब-दर न करना बहुत कहा था वो तुम को पहचानता नहीं है बहुत कहा था तुम उस को अपनी ख़बर न करना बहुत कहा था कि राबतों को दराज़ रखना बहुत कहा था मोहब्बतें मुख़्तसर न करना बहुत कहा था कि इश्क़ आख़िर तो इश्क़ ठहरा बहुत कहा था किसी को इस की ख़बर न करना बहुत कहा था ज़मीं से रिश्ता न 'तूर' टूटे बहुत कहा था फ़लक को ज़ेर-ए-असर न करना