बहुत कठिन है डगर थोड़ी दूर साथ चलो नई है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो हयात बिखरी हुई है समेट लेने दो मैं सी लूँ चाक-ए-जिगर थोड़ी दूर साथ चलो अभी तो दूर है मंज़िल उदास रस्ते हैं अभी न फेरो नज़र थोड़ी दूर साथ चलो ख़ुमार-ए-इश्क़ है बाक़ी रग-ए-शिकस्ता में नशा ये जाए उतर थोड़ी दूर साथ चलो न आरज़ू न कोई हौसला न मंज़िल है तुम्ही हो ज़ौक़-ए-सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो सियाह रात मुसल्लत है दिल की दुनिया पर मता-ए-नूर-ए-सहर थोड़ी दूर साथ चलो न जाने डोर ये साँसों की टूट जाए कब किसे है उस की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो तमाम उम्र मिरा साथ दे न पाओगे अभी तो यार मगर थोड़ी दूर साथ चलो