बा-ख़ुदा आप भी नहीं हैं जी पारसा आप भी नहीं हैं जी एक ही बार हैं अगर हम तो बारहा आप भी नहीं हैं जी शहर सारा अगर रुकावट है रास्ता आप भी नहीं हैं जी अपनी आदत के हाथ हैं मजबूर बे-वफ़ा आप भी नहीं हैं जी हम गुनहगार हैं तो फिर क्या है पारसा आप भी नहीं हैं जी आदमी हैं हमें ये है एहसास और ख़ुदा आप भी नहीं हैं जी